प्रो कबड्डी लीग भारत के बड़े खेल टूर्नामेंटों में से एक है। इस लीग ने बेहद कम समय में एक बड़ी फैन फॉलोइंग हासिल कर ली है। कबड्डी के इस फॉर्मेट ने कई लोगों को इसकी ओर आकर्षित किया है। पहले सीज़न में, प्रतियोगिता में आठ टीमें थीं। लेकिन, अब प्रो कबड्डी में 12 फ्रेंचाइजी शामिल हो चुकी हैं।
गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और तमिलनाडु की पीकेएल टीमें सीजन पांच में लीग में शामिल हुईं थी। प्रो कबड्डी लीग के इतिहास में पटना पाइरेट्स अब तक की सबसे सफल टीम रही है, जिसके नाम तीन खिताब हैं। यू मुंबा, जयपुर पिंक पैंथर्स, बंगाल वॉरियर्स और बेंगलुरु बुल्स ने एक-एक खिताब जीता है। कबड्डी में सफलता प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक अंक प्राप्त करना होता है। जबकि, विपक्षी टीम को सबसे अंक देने पड़ते हैं। हालांकि, कुछ फ्रेंचाइजी ने विपक्षी टीम को अधिक अंक दिए हैं।
आज के इस खेल में हम उन टीमों की बात कर रहे हैं। जिन्होंने प्रो कबड्डी लीग में सबसे अधिक अंक खर्च किए हैं।
5.) बंगाल वारियर्स:
बंगाल वॉरियर्स प्रो कबड्डी लीग की डिफेंडिंग चैंपियन है। उन्होंने दबंग दिल्ली को हराकर अपनी पहली ट्रॉफी जीती थी।हालांकि शुरुआती सीजन में बंगाल इतना मजबूत नहीं था। यहां तक कि फ्रेंचाइजी प्लेऑफ में क्वालीफाई करने के लिए भी संघर्ष कर रहे थी। बंगाल वॉरियर्स ने अब तक कुल 4113 अंक गंवाए हैं।
गौरतलब है कि, शुरुआत में बंगाल वारियर्स की रेडिंग यूनिट उतनी ताकतवर नहीं थी, जितनी कि अब है। इसलिए, विपक्षी डिफेंडर्स अक्सर ही बंगाल के रेडर्स पर हावी रहे हैं। हालांकि, 2019 के सीजन में वॉरियर्स का प्रदर्शन शानदार रहा। उन्होंने 24 मैचों में केवल 790 अंक दिए और सूची में छठे स्थान पर रहे।
4.) बेंगलुरु बुल्स:
बेंगलुरु बुल्स ने बंगाल वॉरियर्स से केवल पांच अंक अधिक दिए हैं। दोनों टीमों ने एक-एक बार खिताब अपने नाम किया है। बेंगलुरू ने सीजन छह में खिताब जीता था। उस सीजन पवन कुमार सहरावत ने टीम के उत्थान में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि, तब मंजीत छिल्लर और अजय ठाकुर भी फ्रेंचाइजी का हिस्सा थे।
मंजीत और अजय के जाने के बाद बेंगलुरु अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सका है। पवन सहरावत के फॉर्म में रहने तक, बेंगलुरु अपने विरोधियों के खिलाफ संघर्ष करता रहा। सातवें सीजन में भी बेंगलुरु का डिफेंस इतना मजबूत नहीं था। उन्होंने 24 मैचों में 855 अंक खर्च किए थे, जोकि सीजन 7 में सभी प्रो कबड्डी टीमों में सबसे अधिक है।
3.) पुनेरी पलटन:
पुनेरी पलटन ने बंगाल वॉरियर्स की तरह पहले कुछ सीज़न में काफी संघर्ष किया। वज़ीर सिंह फ्रैंचाइज़ी के इकलौते स्टार थे। हालाँकि, कुछ सीज़न के बाद, फ्रैंचाइज़ी ने अपनी फ्रेंचाइजी को मजबूत करने के लिए कुछ बड़े नामों को साइन किया। पुनेरी पलटन के लिए मनजीत छिल्लर, दीपक हुड्डा, अजय ठाकुर और नितिन तोमर जैसे खिलाड़ी खेले। फिर भी, पुणे इस सूची में तीसरे स्थान पर है।
पुनेरी पलटन ने बेंगलुरू बुल्स के समान ही अंक अर्जित किए हैं। हालांकि, उन्होंने 128 मैचों में 4,118 अंक गंवाए हैं।जबकि, बेंगलुरु ने 130 मैचों में ऐसा किया है। इसलिए, पुणे इस सूची में बेंगलुरु से ऊपर है। उल्लेखनीय है कि, पुणेरी पलटन अब तक प्रो कबड्डी का खिताब नही जीत सकी है।
2.) दबंग दिल्ली:
दबंग दिल्ली सीजन सात में पहली बार प्रो कबड्डी लीग के फाइनल में पहुंची थी। दिल्ली शुरुआती टूर्नामेंट में दो या तीन खिलाड़ियों पर निर्भर थी। हालांकि, जैसे-जैसे साल बीतते गए, दबंग दिल्ली मजबूत होती चली गई। पिछले सीजन में, वे अपनी पहली पीकेएल ट्रॉफी जीतने से केवल एक कदम दूर रह गए थे। दुर्भाग्य से, उन्हें फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था।
दिल्ली प्रो कबड्डी की उन दो टीमों में से एक है जिसने टूर्नामेंट में 4,200 से अधिक अंक गंवाए हैं। पिछले सीजन में उन्होंने 823 अंक गंवाए थे। फिर भी, वे दूसरे स्थान पर रहने में सफल रहे। सीजन सात में दबंग दिल्ली के पास बेहद प्रतिभाशाली टीम थी।
1.) पटना पाइरेट्स:
प्रो कबड्डी लीग की सबसे सफल फ्रेंचाइजी पटना पाइरेट्स को इस सूची में पहले नंबर पर देखना थोड़ा हैरान करने वाला है। क्योंकि यह फ्रेंचाइजी तीन बार की चैंपियन है। साथ ही, वह एक से अधिक बार प्रो कबड्डी लीग जीतने वाली एकमात्र टीम हैं। टीम के लिए प्रदीप नरवाल ने काफी अंक जुटाए हैं। हालांकि, डिफेंडर्स की गलतियों के कारण कई बार अंक गंवाने पड़े हैं।
आपने अक्सर देखा होगा कि, पटना पाइरेट्स से जुड़े हुए मैच हाई सकोरिंग रहे हैं। इसका बड़ा कारण फ्रेंचाइजी के मुख्य रेडर प्रदीप नरवाल और डिफेंडर्स की गलतियां हैं। यही कारण है कि, इस सफल फ्रेंचाइजी ने अपनी विपक्षी टीम के विरुद्ध 4411 पॉइंट गंवाए हैं।