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भारतीय क्रिकेट इतिहास की ये 5 त्रिकोणीय श्रृंखला हमेशा रहेंगी याद

नेटवेस्ट सीरीज और निदाहास ट्रॉफी का फाइनल शायद ही कोई भूल पाया हो।

क्या आपको याद है भारत ने आखिरी बार त्रिकोणीय श्रृंखला कब खेली थी। अरे-अरे क्या हुआ याद नही आ रहा न। वास्तव में, बीते कुछ वर्षों में ट्राई-सीरीज खेले जाने की परंपरा में बेहद कमी आयी है। जिसका बड़ा कारण यह है कि त्रिकोणीय श्रृंखला आमतौर पर मेजबान देशों के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक नही रहे हैं।

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हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि हम अतीत की याद नहीं दिला सकते। इसलिए, आइये आज हम उन 5 सबसे यादगार त्रिकोणीय श्रृंखला पर एक नजर डालेंगे जो भारत ने खेली हैं।

1.) शारजाह कप:

साल 1998 में यूएई में तीन देशों का एकदिवसीय टूर्नामेंट आयोजित किया गया था। इसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत और न्यूजीलैंड ने हिस्सा लिया था। इस पूरी सीरीज में भारत को  केवल एक हार का सामना करना पड़ा था। भारत की यह हार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए मुकाबले में हुई थी।

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इस पूरी सीरिज में भारतीय टीम के इन फॉर्म बल्लेबाज सचिन ने शानदार बल्लेबाजी की थी। जिस कारण उन्हें मैन ऑफ द सीरिज से भी नवाजा गया था। इस सीरीज में फाइनल से पहले के मैच में तेंदुलकर ने 143 रनों की विशाल पारी खेलकर भारत का फाइनल में प्रवेश सुनिश्चित किया।इसके साथ ही, फाइनल में सचिन ने एक बार फिर से सर्वोच्च 134 रन बनाकर मैन ऑफ द मैच अवार्ड अपने नाम करने के साथ भारत को 6 विकेट से जीत दिलाने में मदद की थी।

2.) 2002 नेटवेस्ट सीरीज:

साल 2002 की नेटवेस्ट सीरीज भारत, इंग्लैंड और श्रीलंका के बीच खेली गई थी। इस सीरीज के फाइनल में जगह बनाने के लिए प्रत्येक देश ने एक-दूसरे के साथ तीन-तीन मैच खेले थे। भारत ने इस त्रिकोणीय श्रृंखला के फाइनल में इंग्लैंड से खेला। यह मैच तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली द्वारा टी-शर्ट उतारकर जश्न मनाने के लिए जाना जाता है।

इस पूरी श्रृंखला के दौरान, सचिन तेंदुलकर ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया, और यादगार त्रिकोणीय श्रृंखला के अंत में भारत के लिए सर्वोच्च स्कोरर बन गए। हालांकि, वह फाइनल में प्रदर्शन करने में नाकाम रहे और महज 14 रन बनाकर आउट हो गए। भारत के लिए जीत बेहद मुश्किल दिखाई दे रही थी। लेकिन, युवराज सिंह और मोहम्मद कैफ के बीच ऐतिहासिक साझेदारी ने भारत को एक निश्चित हार से बचा लिया और भारत को दो विकेट से जीत हासिल हुई।

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3.) निदाहास ट्रॉफी:

निदाहास ट्रॉफी श्रीलंका की आजादी का जश्न मनाने के लिए खेली जाती है। इससे पहले यह 2018 में भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश के बीच आयोजित किया गया था। यह सीरीज टूर्नामेंट के फाइनल में दिनेश कार्तिक की शानदार पारी की वजह से मशहूर हुई थी।

वास्तव में, इस त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में दिनेश कार्तिक ने पारी के अंतिम ओवर में गेंदबाजी करने आए रुबेल हुसैन। जब वह बल्लेबाजी के लिए आए तो भारत को 12 गेंदों पर 34 रनों की जरूरत थी। एक समय ऐसा लग रहा था कि भारत यह मैच हार जाएगा लेकिन, कार्तिक की 8 गेंदों में 29 रनों की पारी ने भारत को इस मैच में जीत दिला दी थी। कार्तिक की इस पारी को हमेशा याद रखा जाएगा।

4.)  2007-08 कॉमनवेल्थ बैंक त्रिकोणीय श्रृंखला:

साल 2007-08 कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज़ में 3 टीमें शामिल थीं ऑस्ट्रेलिया, भारत और श्रीलंका। भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए इस त्रिकोणीय श्रृंखला में यादगार से जीत दर्ज की थी। यह दूसरा मौका है जब ऑस्ट्रेलिया घरेलू त्रिकोणीय सीरीज हार गया था। इस सीरीज ने ब्रैड हॉग और एडम गिलक्रिस्ट के करियर के अंत को भी चिह्नित किया।

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इस त्रिकोणीय श्रृंखला में गौतम गंभीर शानदार फॉर्म में थे और 440 रन के साथ सर्वोच्च स्कोरर भी थे। सचिन ने इस फाइनल में महत्वपूर्ण 91 रन बनाकर भारत को सम्मानजनक 258/9 तक पहुंचा दिया। जवाब में ऑस्ट्रेलिया 249 रन ही बना पाया था। प्रवीण कुमार 4/46 अपनी शानदार गेंदबाजी के लिए ‘मैन ऑफ द मैच’ बने थे।

5.) कोका-कोला त्रिकोणीय श्रृंखला:

साल 1998 में, भारत, बांग्लादेश और केन्या कोका-कोला त्रिकोणीय श्रृंखला खेलने के लिए एक साथ आए। केन्या और भारत ने राउंड-रॉबिन लीग फॉर्मेट के माध्यम से फाइनल में जगह बनाई। पूरे टूर्नामेंट में भारत को सिर्फ एक मैच में हार का सामना करना पड़ा था।

इस त्रिकोणीय श्रृंखला के फाइनल में भारत का शानदार प्रदर्शन था, क्योंकि केन्या 46.3 ओवर में 196 रनों पर सिमट गई। भारत आराम से लक्ष्य तक पहुंच गया और 9 विकेट से जीत दर्ज की। सचिन तेंदुलकर ने आसान सेंचुरी बनाकर भारत को जीत दिलाई थी।

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