पूर्व भारतीय कप्तान एमएस धोनी ( MS Dhoni) जिनकी कप्तानी में भारत ने दो वर्ल्ड कप सहित एक आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी भी अपने नाम की थी। कल लिवफास्ट के एक इवेंट में शिरकत करने पहुंचे जहां उन्होंने विकेटकीपिंग और कई अन्य चीजों के बारे में बात की।
यह उन दुर्लभ अवसरों में से एक था जब धोनी एक पब्लिक इवेंट में शामिल हुए थे। जब वह नहीं खेल रहे होते है तो वह मीडिया से ज्यादा बात नहीं करते है। 40 वर्षीय, जो अभी भी आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के कप्तान हैं। उन्होंने विकेटकीपिंग पर एक बहुत ही दिलचस्प बात कही।
धोनी के अनुसार, उन्होंने भारत में किसी भी अन्य बच्चे की तरह टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलना शुरू किया और टेनिस बॉल के साथ क्या होता है कि आपको इसे पकड़ते समय सॉफ्ट हैंड का इस्तेमाल करना पड़ता है। ऐसे नहीं करेंगे तो यह हाथों से निकल जाता है। यही सिद्धांत तब लेदर गेंदों पर भी लागू होता है, सीनियर लेवल के क्रिकेट में भी।
लेकिन,सीनियर लेवल पर कीपरों के पास मॉडर्न डे के ग्लव्स हैं और उन ग्लव्स के साथ, यह वास्तव में अनिवार्य नहीं है कि आप सॉफ्ट हैंड का इस्तेमाल करें और हमेशा गेंद को पकडे। एमएस धोनी ने कहा कि कोच इच्छुक विकेटकीपरों को हमेशा सही गेंद लेने के लिए कहते हैं, लेकिन आधुनिक समय के ग्लव्स के साथ, गेंद को छीनना भी संभव है, खासकर जब आप रन-आउट करने की कोशिश कर रहे हों।
किरण मोरे ने मुझे बताया कि प्रैक्टिस तकनीक से ज्यादा महत्वपूर्ण है: एमएस धोनी
पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि, “जहां तक लेदर गेंद से विकेटकीपिंग की बात की जाए तो मुझे बहुत मदद मिली। शुरुआत में जब किरण मोरे चयनकर्ता थे तब वो टीम के आस-पास बहुत रहा करते थे। उन्होंने मेरी कीपिंग में काफी मदद की और इसी कारण से मेरी विकेटकीपिंग तकनीक सबसे अलग है। मैंने कभी किसी को कॉपी नहीं किया।”
धोने ने आगे कहा कि, “जो विकेटकीपिंग ग्लव्स हम पहनते हैं उसके अंदर रबर और रबर के अंदर कॉटन भरा होता है। इस वजह से वह काफी नरम होता हैं। गेंद जब विकेटकीपर के ग्लव्स में लगा करती है तब वो उसे आराम से पकड़ लेता है। इसी वजह से मैं भीआराम से गेंद को पकड़ लेता हूं।”