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इन प्लेयर्स के वनडे करियर की शुरुआत थी शानदार, लेकिन जल्द ही टीम से बाहर हो गए

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर में एक समान फॉर्म बनाए रखना नही होता आसान

ऐसा कई बार देखा गया है कि, कुछ क्रिकेटर जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू करते हैं तब वह शुरुआती कुछ मैंचों में अपने प्रदर्शन से हर किसी को प्रभावित करते हैं। लेकिन, कुछ मैचों के बाद उनके प्रदर्शन में गिरावट होने लगती है।

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क्रिकेटर्स के प्रदर्शन में इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण यह माना जाता है कि, विपक्षी टीम को प्लेयर्स की कमजोरियों का पता चलने लगता है। जिसके बाद टीम गेम प्लान तैयार कर उस खिलाड़ी की कमज़ोरी का फायदा उठाते हुए उसे आउट करने में सफल हो जाती हैं।

इसी नोट के साथ, आज इस लेख में हम उन क्रिकेटरों पर एक नज़र डालेंगे जिन्होंने वनडे क्रिकेट में अच्छी शुरुआत की, लेकिन फिर उनका प्रदर्शन खराब हो गया।

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1.) रॉबिन उथप्पा खत्म कर सकते थे वनडे क्रिकेट में चौथे नंबर की खोज:

रॉबिन उथप्पा उन क्रिकेटरों में से एक हैं जिन्होंने अपने वनडे क्रिकेट करियर की अच्छी शुरुआत की थी। लेकिन, अपने फॉर्म को बरकरार नही कर सके। साल 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई वनडे सीरीज के डेब्यू मैच में उथप्पा ने शानदार अर्धशतक जड़ते हुए 86 रन बनाए थे। इसके बाद दो मैचों के बाद एक बार फिर उथप्पा ने एक और अर्धशतक जड़ा था। इसके अगले मैच में उन्होंने, नाबाद 47 रन की मैच फिनिशिंग पारी खेलते हुए टीम इंडिया को जीत भी दिलाई थी।

वास्तव में, उथप्पा ने साल 2007 में 50 ओवर और 20 ओवर (वनडे और टी 20) दोनों ही विश्व कप खेले थे। लेकिन, वह दोनों ही विश्वकप में कुछ खास नही कर सके थे। इसके बाद साल 2008 में हुए एशिया कप के बाद उनके फॉर्म में और गिरावट देखने को मिली। जिसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। हालांकि, साल 2015 में एक बार फिर उन्होंने टीम इंडिया में वापसी की। लेकिन, कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण प्लेइंग इलेवन में जगह बनाने में सफल नही हो सके थे।

2.) जेम्स फॉकनर: 

साल 2013 में अपने डेब्यू से लेकर 2015 के विश्व कप  फाइनल तक, जेम्स फॉकनर ने ऑस्ट्रेलिया के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। इस ऑल राउंडर प्लेयर ने बल्ले के साथ-साथ गेंदबाजी के कमाल से ऑस्ट्रेलिया को लगातार जीत दिलाई थी। भारत के खिलाफ बैंगलोर वनडे में ऑस्ट्रेलिया के उस समय के सबसे तेज रन चेज़ में जेम्स फॉकनर की 100 रन की पारी आज भी सबसे यादगार पारी है।

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हालांकि, जेम्स फॉकनर की प्रमुख उपलब्धि साल 2015 के विश्व कप फाइनल में मैन ऑफ़ द मैच बनना है जेम्स फॉकनर के बल पर ही ऑस्ट्रेलिया ने उस मैच में जीत दर्ज की थी। वरना जिस तरह से बल्लेबाजी की शुरुआत हुई थी उसे देखकर तो लग रहा था कि न्यूजीलैंड इस मैच में एकतरफ़ा जीत दर्ज करने की ओर बढ़ रहा है।

हालांकि, विश्वकप के बाद फॉकनर की बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों का स्तर ही अच्छा नही था। जिसके बाद साल 2017 में उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। तब से अब तक वह एक भी अंतरराष्ट्रीय मैच नही खेल सके हैं।

3.) जेसी राइडर:


न्यूजीलैंड के जेसी राइडर ने जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर कदम रखा तब यह कहा गया कि अधिक वजन के कारण वह असफल हो जाएंगे। लेकिन, अपने डेब्यू के बाद दूसरे ही मैच में उन्होंने 46 गेंदो में 79 रनों की नाबाद पारी खेली। जिसके बल पर न्यूजीलैंड ने इंग्लैंड को आसानी से हरा दिया था।

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जेसी राइडर शानदार फॉर्म में चल रहे थे। लेकिन, विवादों ने उन्हें घेर लिया। जिसके बाद टीम से बाहर कर दिया गया। टीम से बाहर होते ही वह अपना आत्मविश्वास खो चुके थे। हालांकि, इसके बाद भी उन्हें कुछ मौके दिए गए लेकिन तब तक वह आउट ऑफ फॉर्म हो चुके थे। इस क्रिकेट ने एक बार फॉर्म खोने के बाद दोबारा वापसी करने के कई प्रयास किए लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी।

4.) अहमद शहजाद को बताया गया था वनडे का दूसरा कोहली:

खेल के तीनों प्रारूपों में शतक बनाने वाले पहले पाकिस्तान के विस्फोटक बल्लेबाज अहमद शहजाद को खेल में बड़ी चीजों के लिए नियत किया गया था। दरअसल, उनके अब तक के 81 मैचों के करियर में 14 अर्द्धशतक और छह शतकों का रिकॉर्ड वास्तव में बुरा नहीं है। हालांकि, इन 81 मैचों के अंतिम पांच मैचों में शहजाद मात्र 28 रन ही बना सके थे। जिसके बाद चयनकर्ताओं ने उन भर भरोसा नही किया।

अहमद शहजाद के बल्लेबाजी कौशल के कारण शुरुआत में उनकी तुलना विराट कोहली से की गई थी। और, कुछ हद तक वह इसे साबित भी कर रहे थे। लेकिन, डोपिंग टेस्ट में फेल होने और प्रतिबंध झेलने के बाद वह बुरी तरह से टूट गए और अपना खोया हुआ फॉर्म वापस नही पा सके। इस तरह एक अच्छे प्लेयर का करियर मात्र 81 मैंचों में ही समाप्त हो गया।

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5.) लक्ष्मीपति बालाजी:

भारतीय तेज गेंदबाज लक्ष्मीपति बालाजी भी उन क्रिकेटरों में से एक हैं जिन्होंने अच्छी शुरुआत की लेकिन फिर अपने प्रदर्शन को बरकरार नही रख पाए। हालाँकि, वह शुरू में टेस्ट में प्रभावशाली थे, लेकिन फिर 50 ओवर के फॉर्मेट में भी अच्छा प्रदर्शन किया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ साल 2004 में बालाजी के 4 विकेटों का स्पैल आज भी यादगार है।

हालांकि, 2005 में एक स्ट्रेस फ्रैक्चर ने बालाजी के करियर को लगभग खतरे में डाल दिया। तीन साल तक उन्होंने क्रिकेट नहीं खेला। इसके बाद साल 2008 के अंत मे उन्होंने टीम इंडिया में वापसी को लेकर एक बार फिर तैयारी शुरू की। लगातार अपने प्रदर्शन में सुधार करने का प्रयास करते हुए घरेलू क्रिकेट खेलते रहे।

जिसके बाद साल 2009 में बालाजी को टीम इंडिया में शामिल कर लिया गया। लेकिन, एक मैच में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के बाद उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया गया। और अंततः वह टीम इंडिया में भी जगह खो बैठे। इस तरह एक चोट ने बालाजी के करियर को समाप्त कर दिया।

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