
किसी भी क्रिकेट टीम में कप्तान टीम का मुख्य खिलाड़ी होता है और मैदान के बीच में उसकी भूमिका काफी अहम हो जाती है। कब किस गेंदबाज से गेंदबाजी करानी है, किस बल्लेबाज को किस नंबर पर भेजना है, मैच की क्या स्थिति है और उसके हिसाब से यदि बल्लेबाजी क्रम में किसी फेरबदल की ज़रूरत है, फील्ड में किस खिलाड़ी को किस पोजीशन पर रखना है, आदि बातें, यह सब कप्तान ही तय करता है।
यदि किसी टीम का कप्तान अच्छा हो तो एक औसत खिलाड़ियों से भरी टीम भी सबको चौंकाते हुए किसी सितारों से सजी टीम को हरा सकती है। इसके विपरीत यदि कप्तान अच्छा नहीं है और उसमें नेतृत्व क्षमता कम है तो सितारों से भरी कोई टीम भी ख़राब प्रदर्शन कर सकती है।
कप्तानी के बारे में बात करते हुए टीम प्रबंधन को यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी सीरीज़ के दौरान पूरी सीरीज़ में कप्तान एक ही रहना चाहिए। इससे टीम को सामंजस्य बिठाने में मदद मिलती है। इस आर्टिकल में हम आपको 3 ऐसे मौकों के बारे में बतायेंगे, जब टीमों ने कुछ वजहों से किसी सीरीज़ के हर मैच में अलग अलग कप्तान चुना।
1.) दक्षिण अफ्रीका वर्सेज़ भारत (2022)
दक्षिण अफ्रीका इस समय टी-20 विश्व कप से पहले तीन 20-20 मैच और तीन 50 ओवर के मैचों की सीरीज खेलने भारत आई है। दक्षिण अफ्रीका की टीम के लिए सीमित ओवरों में टेम्बा बावूमा कप्तान हैं। इस दौरे के पहले एकदिवसीय मैच में बावूमा कप्तान थे। लेकिन उसके बाद दूसरे मैच से पहले उनकी फिटनेस में कुछ समस्या आ गयी और दूसरे मैच में केशव महाराज ने टीम का नेतृत्व किया।
लेकिन तीसरे मैच से पहले उनकी तबीयत भी कुछ बिगड़ गयी। तीसरे एकदिवसीय मैच में बायें हाथ के आक्रामक बल्लेबाज डेविड मिलर टीम की कमान संभाले हुए नज़र आये। गौरतलब है कि टेम्बा बावूमा पहले काले अफ्रीकी हैं जिन्हें दक्षिण अफ्रीका का पूर्णकालिक कप्तान घोषित किया है। आने वाले टी-20 विश्व कप में भी दक्षिण अफ्रीकी टीम उनकी ही कप्तानी में उतरेगी।
2.) वेस्टइंडीज वर्सेज़ इंग्लैंड (1930)
लगभग 90 साल पहले 1930 में वेस्टइंडीज और इंग्लैंड की टीमों ने एक सीरीज़ खेली। यह सीरीज़ चार टेस्ट मैचों की थी। उस दौर में एकदिवसीय क्रिकेट तो होता नहीं था, 20 ओवरों के क्रिकेट के बारे में तो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा रहा होगा। उस सीरीज़ के चारों मैचों में वेस्टइंडीज की तरफ से 4 अलग-अलग कप्तानों ने कप्तानी की थी। ये 4 खिलाड़ी थे, कार्ल नून्स, टेडी होड, नेल्सन बेटनकोर्ट और मौरिस फर्नांडीज़।
3.) दक्षिण अफ्रीका वर्सेज़ ऑस्ट्रेलिया (1902)
एकदिवसीय मैचों में यह पहली बार हुआ है कि सीरीज़ के हर मैच में अलग कप्तान रहे हों। इस घटना में जहाँ दक्षिण अफ्रीका थी, वहीं टेस्ट में भी जब यह पहली बार हुआ तो ऐसा करने वाली टीम दक्षिण अफ्रीका की ही थी। 100 साल से भी पहले वर्ष 1902 में दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच 3 टेस्ट मैचों की सीरीज हो रही थी। इस सीरीज के तीनों मैचों में दक्षिण अफ्रीका के कप्तानों के नाम थे, हेनरी टैबरर, बिडी एंडरसन और बार्बर्टन हालीवेल।