भारतीय टीम के लिए खेलने का मौका मिलना वाकई मुश्किल है। इसमें एक स्थान बनाए रखना और भी कठिन है। खासकर टेस्ट में, यह खिलाड़ियों के लिए और भी कठिन हो जाता है क्योंकि खेले जाने वाले मैचों की संख्या कम होती हैं। इसलिए कई बार कुछ खिलाड़ियों को असफल होने के ज्यादा मौके नहीं मिलते।
एक या दो गेम के बाद, वे रडार से गायब हो सकते हैं। इसी चीज को ध्यान में रखते हुए हम आपको उन तीन खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें आप शायद नहीं जानते होंगे जिन्होंने पिछले एक दशक में भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला है।
3) पंकज सिंह
भारत को हमेशा से लंबे तेज गेंदबाजों की तलाश रही है जो तेज गेंदबाजी कर सके। ईशांत शर्मा को सफलता मिलने के बाद, भारत 2014 में इंग्लैंड के दौरे के लिए एक समान खिलाड़ी की तलाश में था। इसलिए उन्होंने राजस्थान के क्रिकेटर को पंकज सिंह (Pankaj Singh) को मौका दिया। उन्होंने कुल दो मैच खेले और 146 के औसत की मदद से मात्र 2 ही विकेट लिए।
हालांकि वह प्रभाव नहीं छोड़ पाए। लंबे तेज गेंदबाज को दोबारा मौका नहीं मिला। दाएं हाथ के तेज गेंदबाज के फर्स्ट क्लास करियर की बात की जाए तो उन्होंने 117 मैच खेले है और 23.76 के औसत की मदद से 472 बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाने में सफलता पायी है। इस दौरान उन्होंने 5 विकेट हॉल 28 बार और 10 विकेट हॉल 5 बार लिए है।
2) कर्ण शर्मा
कर्ण शर्मा (Karn Sharma) उन खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्हें आप शायद नहीं जानते होंगे जिन्होंने पिछले एक दशक में भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला है। 2014 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कर्ण ने टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था। यह सीरीज एमएस धोनी के टेस्ट करियर कीआखिरी सीरीज थी। भारत को एक लेग स्पिनर की जरूरत थी जो थोड़ी गेंदबाजी भी कर सके। हालाँकि, कर्ण सेटअप में फिट नहीं हुए और उन्हें बाहर करना पड़ा।
कर्ण शर्मा के टेस्ट करियर की बात की जाए तो उन्होंने 1 मैच खेला है और 59.5 के औसत की मदद से 4 बल्लेबाजों को पवेलियन की राह दिखाने में सफलता पायी है। कर्ण के फर्स्ट क्लास करियर की बात की जाए तो उन्होंने 82 मैच खेले है और 27.80 के औसत की मदद से 230 विकेट हासिल किये है। इस दौरान उन्होंने 5 विकेट हॉल 13 बार और 10 विकेट हॉल 2 बार लिए है।
1) नमन ओझा
पिछले डेढ़ दशक में, सभी प्रारूपों में भारतीय टीम में विकेटकीपर का स्थान खुला नहीं था। एमएस धोनी स्टंप्स के पीछे शानदार प्रदर्शन कर रहे थे, ऐसे में दूसरों के लिए कोई मौका नहीं था। इसके अलावा, एमएसडी कप्तान भी थे और चोट के कारण शायद ही मैच खेलने से चूके हो। घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद नमन ओझा (Naman Ojha) को टेस्ट में बहुत कम मौके मिले।
उन्होंने 2015 में एक मैच खेला था और वह इस फॉर्मेट में उनका आखिरी मैच था। इस मैच में उन्होंने 56 रन बनाये। दाएं हाथ के विकेटकीपर बल्लेबाज के फर्स्ट क्लास करियर की बात की जाए तो उन्होंने 146 मैच खेले है और 41.67 के औसत की मदद से 9753 रन अपने खाते में जोड़े है। इस दौरान उनके बल्ले से 22 शतक और 55 अर्धशतक देखने को मिले है। फर्स्ट क्लास में उनका हाईएस्ट स्कोर नाबाद 219 रन है।