क्रिकेट फैंस को यह याद होगा कि, आईपीएल के शुरुआती सीजन यानी सिर्फ आईपीएल 2008 में ही पाकिस्तानी प्लेयर्स आईपीएल का हिस्सा थे। आईपीएल के उसी सीजन की यादों को ताजा करते हुए पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने वानखेड़े स्टेडियम में मुंबई इंडियंस और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच हुए एक मैच के बारे में बात की है, जिसमें उन्होंने सचिन तेंदुलकर को आउट किया था।
दरअसल, शोएब जिस मैच की बात कर रहे हैं उस मैच में सौरव गांगुली की अगुवाई वाली कोलकाता नाइट राइडर्स 15.2 ओवर में महज 67 रनों पर ऑल आउट हो गई थी। इस मैच में मुंबई इंडियंस की ओर से शॉन पोलक ने 3, ड्वेन ब्रावो, रोहन राजे और डोमिनिक थॉर्नले ने 2-2 सफलताएं अर्जित की थी।
इस मैच में, शोएब अख्तर ने दूसरी पारी के पहले ही ओवर में मुंबई इंडियंस के कप्तान सचिन तेंदुलकर को डक पर आउट कर दिया था। हालांकि, इसके बाद भी मुंबई इंडियंस ने इस मैच को महज 5.3 ओवर में ही जीत लिया था। लेकिन, शोएब ने उस मैच से जुड़ा एक खास किस्सा शेयर किया है।
रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर शोएब अख्तर ने खुलासा करते हुए बताया है कि, इस मैच में जब उन्होंने सचिन तेंदुलकर को आउट कर दिया था, तो दादा यानी सौरव गांगुली ने उन्हें जमकर फटकार लगाई थी।
अख्तर ने कहा है कि, “हमने वास्तव में उस मैच में बेहद कम स्कोर किया था। जब मैच शुरू हुआ तो माहौल एक दम बन हुआ था, क्योंकि वह शहर सचिन का शहर था मुंबई।”
पहले ही ओवर में मैंने सचिन को आउट कर दिया था: शोएब अख्तर
उन्होंने आगे बताया है कि, ”पहले ओवर में मेरे सामने सचिन तेंदुलकर थे और केकेआर में हमारे पास स्टेडियम में फ्रेंचाइजी के मालिक शाहरुख खान मौजूद थे। स्टेडियम और पूरा मुंबई खचाखच भरा हुआ था। मैच से पहले, हम मित्रतापूर्ण बातचीत कर रहे थे। मैंने और सचिन दोनों ने ही एक-दूसरे को बधाई दी थी।”
शोएब अख्तर ने यह भी कहा है कि, ”यह एक खूबसूरत मैदान और शानदार माहौल था। स्टेडियम पूरी तरह खचाखच भरा हुआ था। लेकिन मैंने सचिन तेंदुलकर को पहले ही ओवर में आउट कर दिया और वह बहुत बड़ी गलती थी। फिर जब मैं फाइन लेग पर था तो मुझे बहुत गालियां मिलीं। सौरव गांगुली ने मुझसे कहा, मिड-विकेट पर आओ, ये लोग तुम्हें मार देंगे। आपको सचिन को आउट करने के लिए किसने कहा? वो भी मुंबई में?”
इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा है कि, ”मैंने मुंबई में बहुत काम किया है और मुझे बहुत प्यार भी मिला। मैं खुश था क्योंकि वानखेड़े में किसी ने मेरे देश को गाली नहीं दी, किसी ने जातिवादी टिप्पणी नहीं की। वानखेड़े में भीड़ बहुत ही जोशीली थी, काश मैं वहां और खेल खेल पाता।”